सिर्फ 4 लाइन के आइडिया पर बनी 3 फिल्में, तीनों निकली ब्लॉकबस्टर, एक ने तो वर्ल्ड रिकॉर्ड ही बना दिया – 3 iconic Bollywood cult classic blockbuster movies made on 1 line script sholay ram teri ganga maili third name surprising amitabh bachchan dharmendra
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बॉलीवुड में कई ऐसी फिल्में बनी जिनका शुरुआती आइडिया सिर्फ 4 लाइन का था. दिलचस्प तथ्य यह है कि इस तरह की ज्यादातर फिल्में सफल रही. आज हम ऐसी ही तीन फिल्मों के बारे में बताएंगे. इनमें से एक मूवी तो अखबार की एक हेडलाइन से बनी थी. एक फिल्म कवि की एक कविता की पंकित से बनी थी. तीनों फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर जबर्दस्त कमाई की. बॉलीवुड को विनोद खन्ना, धर्मेंद्र और अमिताभ बच्चन जैसे सुपरस्टार दिए. ये तीन फिल्में कौन सी हैं?
हाल ही में शोले फिल्म ने 50 साल पूरे किए हैं. रमेश सिप्पी के निर्देशन में बनी यह फिल्म 1975 में पर्दे पर आई थी. सलीम जावेद ने सिर्फ चार लाइन में फिल्म का आइडिया रमेश सिप्पी को दिया था. बाद में इस आइडिया को डेवलप करके एक स्टोरी बनाई गई. स्क्रीनप्ले लिखा गया. तब यह जाकर कल्ट फिल्म तैयार हुई. रमेश सिप्पी ने अपने एक इंटरव्यू में इसका खुलासा किया था. उन्होंने बताया था, ‘आइडिया को डेवलप करके स्टोरी बनाई गई थी. उस समय मुझे ‘मजबूर’ फिल्म करनी थी लेकिन मैंने उसे अपने पिता के कहने पर छोड़ दिया. जो हुआ सही हुआ.’
रमेश सिप्पी ने बताया, ‘हेमा मालिनी अपना रोल नहीं करना चाहती थीं. वो ‘सीता और गीता’ मेरे साथ कर चुकी थीं. जब उन्हें डिटेल में रोल सुनाया गया तो उन्होंने हामी भर दी. डायलॉग के बाद रोल का रंग अलग ही बन गया था. गब्बर का रोल डैनी कर रहे थे लेकिन वो डेट्स नहीं दे पाए. अमिताभ को अच्छा जरूर लगा था. अमिताभ का करियर शुरू ही हुआ था. फ्लॉप फिल्में दे रहे थे लेकिन हमने जो रोल उन्हें दिया, प्यार से स्वीकार किया. धर्मेंद्र को भी यह रोल बहुत पसंद था.’
रमेश सिप्पी ने अमजद खान को गब्बर का रोल दिए जाने की कहानी भी इंटरव्यू में बताई थी. उन्होंने बताया था, ‘मेरी बहन ने एक प्ले में लीड रोड किया था. उसमें अमजद खान भी थे. प्ले साउथ अफ्रीका के बारे में था. मैंने उसे पहली बार वहां देखा था. जब वह ऑफिस में आए, ऐसा लगा कि कुछ अलग सा चेहरा है. अजीब सा लुक है. जो हम करना चाहते हैं, उसमें फिट रहेगा. फिर दो चार दिन बाद उसे ड्रेस करवाया, फिर फोटो खींचे. अमिताभ की जगह पहले शत्रुघ्न सिन्हा को लेने पर विचार किया गया था. वो उभरते सितारे थे. जया भादुड़ी भी स्टार थीं. फिर मुझे लगा कि इन सब स्टारों के साथ फिल्म शूट करना मुश्किल हो जाएगा. फिर उन्हें हमने शान में लिया. उनका नाम सजेस्ट हुआ था लेकिन हम उन्हें ले नहीं पाए.’
मजेदार बात यह भी कि शोले मूवी जब रिलीज हुई तो एक हफ्ते तक दर्शकों को अपनी ओर नहीं खींच पाई थी. एक वक्त तो ऐसा लगा कि फिल्म फ्लॉप हो जाएगी लेकिन 7 दिन के बाद अचानक जज्बात बदले. आज यह फिल्म भारत की कालजयी मूवी मानी जाती है. यह फिल्म 3 करोड़ के बजट में बनी थी. भारत में 35 करोड़ कमाए, जबकि वर्ल्डवाइड फिल्म का कलेक्शन 50 करोड़ रहा था. मुंबई के एक थिएटर में यह फिल्म लगातार 5 साल तक चली. इस फिल्म के हर किरदार से सिने प्रेमी परिचित हैं. फिल्म के डायलॉग लोगों की जुबान पर चढ़ गए. एक साल के अंदर सबसे ज्यादा टिकट इस फिल्म के बिकने का वर्ल्ड रिकॉर्ड भी इस मूवी के नाम है.
दूसरी फिल्म है अमर अकबर एंथोनी. यह भी एक संयोग है कि जब 1975 में शोले मूवी आई, उन्हीं दिनों डायरेक्टर मनमोहन देसाई सुबह-सुबह अखबार पढ़ रहे थे. अखबार में मनमोहन देसाई को एक खबर नजर आईं, जिसमें लिखा था कि एक आदमी अपने 3 बेटों को पार्क में छोड़कर भाग गया है. तीनों ही बच्चे छोटे हैं. उन्होंने अपने दोस्त और राइटर प्रयाग राज को खबर भी बताई. उन्होंने अपने दोस्त से कहा कि अगर उन तीनों बच्चों को अलग-अलग आदमी ले जाएं, एक हिंदू, एक मुस्लिम और एक ईसाई तो क्या होता? बस यहीं से फिल्म बनाने की शुरुआत हुई. मनमोहन देसाई ने इस फिल्म का डायरेक्शन और प्रोडक्शन किया. फिल्म की कहानी प्रयाग राज, कादर खान और केके शुक्ल ने मिलकर लिखी थी. अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना और ऋषि कपूर की तिगड़ी ने शानदार अभिनय किया था. 27 मई 1977 को यह फिल्म रिलीज हुई थी. अमिताभ बच्चन को करियर का पहला फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था. यह उस साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म भी बनी.
तीसरी फिल्म है : राम तेरी गंगा मैली. राज कपूर को इस फिल्म को बनाने का आइडिया एक भजन से आया. राज कपूर, रविंद्र जैन को लेकर अपने पुणे के फॉर्म हाउस गए थे. रविंद्र जैन ने बताया था, ‘पहले दिन सिर्फ पार्टी हुई. उन्होंने कहा कि मेरे पास एक छोटा सा आइडिया है, उसे कैसे बढ़ाऊं समझ नहीं आ रहा. तोतापुरी महाराज ने रामकृष्ण परमहंस महाराज को ताना मारा था कि राम तेरी गंगा मैली. फिल्म के ओपनिंग सॉन्ग में इसका जिक्र किया गया है. ‘रामकृष्ण को तोतापुरी ने ताना मारा…राम तेरी गंगा मैली.’ राज साहब ने कहा कि इस बात को आधार बनाकर मैं कोई कहानी बनाना चाहता हूं. मैंने पहले फिल्म बनाई थी कि ‘जिस देश में गंगा बहती है’. अब कैसे कहूं कि ‘राम तेरी गंगा मैली हो गई.’ उसी समय रवींद्र जैन ने मुखड़ा बनाकर कहानी पूरी कर दी. ‘एक दुखियारी ने बात कही रोते-रोते, राम तेरी गंगा मैली हो गई, पापियों के पा धोते-धोते.’ यहीं से राज साहब के मन में कहानी ने जन्म लिया.
फिल्म में मंदाकिनी के झरने वाले सीन्स पर जमकर विवाद हुआ था. यह फिल्म आज कल्ट फिल्म मानी जाती है.