फाल्गुनी पाठक यूं बनीं गरबा-डांडिया क्वीन, लड़कों जैसा लुक रखने के पीछे क्या है राज? गाने आज भी धड़काते हैं दिल
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फाल्गुनी पाठक के गाने यूं तो साल भर कानों का सकून देते हैं. लेकिन नवरात्रि के दौरान उनकी डिमांड काफी बढ़ जाती हैं. लेकिन क्या आप जाते हैं कि एक मिडिल क्लास की बिटिया कैसे शिखर पर पहुंची और फिर जहां से शुरुआत की वहीं पहुंच गई.
नई दिल्ली. 90 के दशक की वो मधुर आवाज, जो नवरात्रि की रातों को जगमगा देती थी… फाल्गुनी पाठक, जिन्हें ‘डांडिया क्वीन’ कहा जाता है. गुजराती लोक संगीत की ऐसी शख्सियत हैं, जिनके गाने आज भी दिलों की धड़कन हैं. 90 के दशक में पहली बार जिसने ने देखा, उसने सोचा ये तो लड़का है. उनके गानों में ऐसा जादू हुआ करता था कि लोग खुद ब खुद झूमकर नाचने के लिए मजबूर हो जाया करते थे. फोटो साभार-@falgunipathak12/instagram
‘मैंने पायल है छनकाई’, ‘चूड़ी जो खनकी हाथों में ‘, ‘मेरी चूनर उड़ उड़ जाए’, ‘ओ पिया’ और ‘सावन में मोरनी बनके’ जैसे गानों ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया. 56 साल की हो चुकीं फाल्गुनी ने आजतक न तो बाल बढ़ाए, न लड़कियों की तरह कपड़े पहने और न ही आजतक शादी की. एक साधारण परिवार की लड़की के कठिन स्ट्रगल ने न सिर्फ उन्हें सिंगर बनाया बल्कि लोगों के लिए वह एक इंस्पिरेशन बन गईं. फोटो साभार-@falgunipathak12/instagram
90 के दशक में यूं तो कई सिंगर आए, लेकिन उस दौर में फाल्गुनी पाठक के गानों की खूब धूम मची. फाल्गुनी गुजराती हैं, लेकिन उनका जन्म मुंबई में हुआ. 2 मार्च 1969 को जन्मीं फाल्गुनी पाठक 5 बहनों में सबसे छोटी हैं. घर में पहले से चार-चार बेटियां थीं तो जब फाल्गुनी जन्म लेने वाली थीं, तब उनके माता-पिता को यह उम्मीद थी इस बार बेटा ही जन्म लेगा. उनकी चारों बहनों की भी यही ख्वाहिश थी कि इस बार भाई उन्हें मिल जाए, लेकिन इस बार फाल्गुनी ने जन्म लिया. फोटो साभार-@falgunipathak12/instagram
इस बार भी घरवालों की आस पूरी नहीं हो सकी. लेकिन बहनों ने फाल्गुनी में ही अपना भाई ढूंढ लिया. बहनों ने हमेशा उनका लुक लड़को की तरह ही रखा. जब कभी फाल्गुनी के बाल थोड़े से बड़े हो जाते थे तो बहनें उन्हें नाई की दुकान में ले जाती और बाल कटा के छोटे-छोटे करा देती. हमेशा उन्हें शर्ट पैंट पहनाती. बस बचपन से जो शुरू हुआ वो आदत बन गई. जब सिंगर बड़ी हुईं तो वैसे की वैसे ही रहीं. इसी वजह से वह हमेशा लड़कों जैसी लुक में दिखाई देती है. फोटो साभार-@falgunipathak12/instagram
फाल्गुनी को संगीत का शौक बचपन से ही था. 5 साल की उम्र में जहां सारे बच्चे अपने खिलौनों से करते वहीं फाल्गुनी रेडियो पर लता मंगेशकर और आशा भोसले के गाने सुना करतीं. धीरे-धीरे यह गीत-संगीत उनके मन में की ऐसा रच बस गया और उन्होंने गाना भी शुरू कर दिया. उनकी मां ने उन्हें बहुत सपोर्ट किया बचपन से ही वह अपनी बेटी को गुजराती लोकगीत सिखाया करती थीं. नवरात्रि आती तो उन्हें गरबा सिखा देती. बस बेटी ने अपने शौक को ही कैरियर बनाने का फैसला कर लिया. फोटो साभार-@falgunipathak12/instagram
मां को फाल्गुनी का गाना बजाना पसंद था, लेकिन पिता को उनका गाना-बजाना बहुत बुरा लगता था. वह 9 साल की थी तब एक बार वह घरवालों को बिना बताए स्टेज पर चली गईं. स्टेज पर जाकर उन्होंने ‘लैला मैं लैला’ गा दिया. पिता को जैसे ही यह बात पता चली तो उन्होंने बहुत गुस्सा किया और फाल्गुनी को डांटने पीट भी दिया. लेकिन वो नहीं मानी. 10-11 साल की हुईं तो उन्हें एक बड़ा मौका मिला. एक गुजराती फिल्ममेकर ने उन्हें अपनी फिल्म में गीत गाने का मौका दिया. उन्होंने अपना पहला गाना उस दौर की मशहूर गायिका अलका याग्निक के साथ रिकॉर्ड किया था. फोटो साभार-@falgunipathak12/instagram
नवरात्रि और गरबा में गाकर तो वह मशहूर हो गई थीं, लेकिन अब वह पूरे देश में गूंजना चाहती थीं. सपना बड़ा था मगर उसे पूरा करने का हौसला उससे भी बड़ा था. फाल्गुनी पाठक ने कुछ दोस्तों के साथ एक बैंड बनाया नाम रखा ‘ता थैया’ इसी बैंड के साथ उन्होंने पूरे देश में गाना शुरू कर दिया लेकिन वह पहचान और वह शोहरत उन्हें नहीं मिल पा रही थी, जिसकी वह असली हकदार थीं. इसीलिए उन्होंने कुछ नया करने की सोची. फोटो साभार-@falgunipathak12/instagram
दौर 90 का था उन दिनों प्राइवेट एल्बम्स की धूम काफी थी. हर कोई सिंगर अपनी प्राइवेट एल्बम निकाल रहा था. फाल्गुनी ने भी अपना प्राइवेट एल्बम निकालने की योजना बनाई, लेकिन उन्हें नहीं पता था. उनका यह फैसला क्या रंग दिखाने वाला है. साल 1996-97 में वह जुट गईं अपनी पहली एल्बम की तैयारी में. आखिरकार साल 1998 में कड़ी मेहनत के बाद उनका पहला एल्बम बनके तैयार हो गया. रिया सेन के साथ आई एल्बम का नाम था ‘याद पिया की आने लगी’. फोटो साभार-@falgunipathak12/instagram
एल्बम ने धूम मचा दी. लड़कियां ही नहीं लड़के भी उनकी आवाज की दीवाने हो गए. छोटी सी लड़की की आवाज ने बड़े-बड़े बॉलीवुड सिंगर को हैरान कर दिया था. रातों रात फाल्गुनी सिंगर सिंगिंग स्टार बन गईं. इसके ठीक 1 साल बाद उन्होंने फिर दूसरा एल्बम निकाला, नाम था ‘मैंने पायल है छनकाई’. फाल्गुनी ने एक बार फिर से युवाओं का दिल धड़का दिया. इसके बाद तीसरा ‘मेरी चूनर उड़ उड़ जाए’ के साथ उन्हें लोगों का प्यार और मिला. फाल्गुनी पाठक सीधे सफलता के सातवें आसमान पर पहुंच गईं. अब तो लोग उनके प्राइवेट एल्बम का इंतजार किया करते. 2 साल के इंतजार के बाद 2002 में उन्होंने एक और एल्बम रिलीज किया यह ‘किसने जादू किया’, युवा लवस्टोरी के बीच फाल्गुनी किए मीठी आवाज लोगों के सिर चढ़कर बोल रही थी. फोटो साभार-@falgunipathak12/instagram
फाल्गुनी के गाने आज भी लोगों के दिलों को धड़काते हैं, लेकिन वो इंडस्ट्री से अचानक गुमनाम हो गईं. दरअसल, फाल्गुनी पाठक अपने अच्छे दौर में मिले मौकों को गवा रही थी. जब उनका पहला एल्बम रिलीज हुआ तो उनकी आवाज लोगों को ही नहीं कई म्यूजिक डायरेक्टर्स को भी पसंद आई थी. वह फाल्गुनी के पास आते और बॉलीवुड में गाने के ऑफर देते, लेकिन वह सारे ऑफर को ठुकराती जा रही थीं. फोटो साभार-@falgunipathak12/instagram
एक इंटरव्यू में फाल्गुनी ने बताया था की बॉलीवुड के गाने में डबल का मेहनत करनी पड़ती है. इसी वजह से वह हिंदी फिल्मों की सिंगर नहीं बनीं और उन्होंने बॉलीवुड को कभी सीरियसली नहीं लिया. अब वह वहीं स्टेज शो करती हैं जहां से उन्होंने शुरू किया था. वह नवरात्र, डांडिया नाइट्स और गरबा में गीत गाती हैं. नवरात्रों के दौरान उनकी डिमांड खूब रहती है. फोटो साभार-@falgunipathak12/instagram